महाराष्ट्र: नागपुर के विशेषज्ञ करेंगे- टाइगर रिजर्व में बसे गांवों का अध्ययन
5 जुलाई 2020
चांदनी पाठक महाराष्ट्र।*
विनुविनीत त्यागी
( ब्यूरोचीफ बी सी आर न्यूज़)
महाराष्ट्र: नागपुर।
नागपुर। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने नागपुर के मातृसेवा संघ समाजकार्य महाविद्यालय को देश के 4 प्रमुख टाइगर रिजर्व में बसे 60 गांवों में ग्रामीणों की समस्याओं और जीवनशैली का अध्ययन करने की जिम्मेदारी सौंपी है। इस प्रोजेक्ट के लिए मंत्रालय ने “जनजातीय उत्सव, शोध सूचना और सामूहिक शिक्षा’ योजना के तहत संस्थान को 40 लाख की निधि मंजूर की है। 2 साल में अध्ययन करके मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपनी है। संस्थान के डॉ. केशव वालके इस प्रोजेक्ट के प्रमुख होंगे। यह टीम मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व, उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व, पश्चिम बंगाल के सुंदरवन राष्ट्रीय पार्क व टाइगर रिजर्व और आंध्र प्रदेश के नागार्जुन सागर- श्रीशैलम टाइगर रिजर्व में बसे गांवों में जाकर स्थिति का जायजा लेगी। डॉ. वालके के अनुसार, यह पायलट प्रोजेक्ट है। इसके बाद अन्य टाइगर रिजर्व के गांवों का भी अध्ययन किया जाएगा। ये होंगे शोध के विषय देश के विविध टाइगर रिजर्व के पास बसे गांवों में टाइगर रिजर्व प्रकल्प के कारण कई प्रकार की समस्याएं होती हैं।
क्षेत्र आरक्षित हो जाने के कारण ग्रामीणों को वन अधिकार, विस्थापन, बंदिशें और अन्य मुद्दों का सामना करना पड़ता है। इससे उनकी जीवनशैली, उनकी पुरातन संस्कृति, दृष्टिकोण और कई मान्यताओं में बदलाव हो जाता है। रिसर्च टीम को अगले दो वर्षों में ग्रामीणों की इन्हीं समस्याओं को चिह्नित करके उनके समाधान सुझाने हैं।
अध्ययन का मिलेगा लाभ-
डॉ. वालके ने बताया कि उन्होंने कुछ समय पूर्व मंत्रालय को इस प्रकार के शोध के लिए प्रस्ताव भेजा था। इसमें कुछ संशोधनों के बाद मंत्रालय ने उसे स्वीकार कर लिया। उन्हें एक टीम तैयार करके कुछ ही दिनों में अपनी रिसर्च शुरू करने को कहा गया है। डॉ. वालके के अनुसार, ग्रामीणों की समस्याएं चिह्नित होने के बाद सरकार, गैर सरकारी संस्थाएं, मानवाधिकार कार्यकर्ता, शिक्षाविद और अन्य वर्ग मिल कर ग्रामीणों के विकास के लिए साथ %काम कर सकते हैं। यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होने के बाद देश भर में इस प्रकार के रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा। यह ग्रामीणों के लिए काफी फायदेमंद होगी।।