बीसीआर न्यूज़ (स्वाति भट/मुंबई): तमिल फिल्म ‘केडी’ को जितने भी फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया वहां हर जगह इस फिल्म और फिल्म की टीम ने वाहवाही लूटी। इस फिल्म के नन्हे कलाकार, नागविशाल को सब ने बहुत चाहा और उसकी एक्टिंग की सराहना की। जागरण फिल्म फेस्टिवल 2019 में इस 8 साल के कलाकारने ‘बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड भी जीता।
इस फिल्म की निर्देशिका मधुमिता सुंदरारामन को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रहीं है की नागविशाल ने इतनी छोटी सी उम्र में और उसकी पहली फिल्म होते हुए भी इतनी मैच्योरिटी के साथ फिल्म की आत्मा को समझा और फिल्म में उसने जान डाल दी। “केडी” नागविशालके बिना अधूरी होती।
“केडी” फिल्मकी कहानी तमिलनाडु के गावो में होने वाली एक इच्छामृत्यु से जुड़ी एक प्रथा ‘थलीकूटहल’ पर आधारित है । इस परंपरा के अनुसार जीस व्यक्ति पे इसका प्रयोग किया जाना है, उन्हें पहले तेल मालिश किया जाता है फिर उसके बाद ठंडे पानी से स्नान कराया जाता है और अंततः नारियल पानीका सेवन कराते हैं । ऐसा करने पर कुछ ही घंटों में उस इन्सान की मृत्यु हो जाती है। तमिलनाडु में 40 से अधिक गांवों में इस प्रथा का पालन आज भी किया जाता है।
मधुमिता वैसे तो इन्डोनेशिया में पली बढ़ी है लेकिन अपने गांव और गांव की सभ्यतासे उसका लगाव बहुत ज़्यादा है। उन्हें जब यह पता चला कि आज भी कुछ गांव में ‘थलीकूटहल’ होता है तो यह जानकर उनको बहुत बुरा लगा और उन्होंने सिनेमा को अपना माध्यम चुना समाज को एक मानवता पूर्ण संदेश देने के लिए।
‘केडी’ के टाइटल रोल की भूमिका तमिलनाडु के सुप्रसिद्ध थिएटर कलाकार रामासामी ने की है। अनुभवी रामासामी के साथ नए और नन्हे नागविशाल ने कई दृश्यों में दशॅकोको रुलाया है। हैरानी की बात यह है की 8 साल के नागविशाल ने पूरी फिल्म में कहीं पर भी रोने के लिए ग्लिसरीन का इस्तेमाल नहीं किया। जब इस चमत्कार के बारे में मधुमिता से जानने की कोशिश में, मैंने खुद यह महसूस किया कि इसके बारे में जवाब देते समय उनके चेहरे पर मुस्कान थी और आंखें नम। मधुमिताने बताया कि ” विशाल बहुत गरीब परिवार से है। उसके पिता गुजर चुके हैं और उसकी माता अकेली छह भाई-बहनों का ख्याल रख रही है। नागविशाल ने बहुत कम उम्र में बहुत मुश्किलें देखी है। कोई भी सीन जिसमें नाग को रोना होता, तब मैं उसे जाकर कहती की याद कर तुम्हें सबसे ज्यादा तकलीफ कब हुई थी? और जब मैं ‘एक्शन’ बोलूं तब उस तकलीफ को याद करते हुए जो महसूस करो बस वही मुझे चाहिए। नागने ठीक वैसा ही किया। ऐसे इंस्ट्रक्शंस देना व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए भी उतना ही तकलीफ दाई था जितना कि उसके लिए उसे लेना। लेकिन मुझे पता था कि यह कैमरा के लिए ओर उसको देखने वाली ऑडियंस के लिए जरूरी है । यही सोच कर मैं खुद को नॉर्मल कर देती थी।”
नागविशाल सिर्फ तमिल भाषा समझता है तो मधुमिता ने मेरे और उसके बीच में ट्रांसलेटर का भी काम किया। मुझे बताया गया था कि जागरण मैं शामिल होने के लिए नागविशाल को प्लेन से बुलाया गया था। जब इस अनुभव के बारे में मैंने विशाल को पूछा तो उसने कहा की, ” जब विमान ने टेक ऑफ किया तब मुझे थोड़ा डर लगा। जब बीच आकाश में हमारा विमान हिलता था तब मुझे ऐसा लगता था कि मैं दूसरी बार कभी भी फिर से विमान मुसाफारी नहीं करूंगा। जब मुंबई में हमारा एरोप्लेन लेंड हुआ तब मेरे पेट में बहुत गुदगुदी हुई, और जब मैं नीचे उतरा तब मुझे ऐसा लगा कि नहीं मुझे यह अनुभव फिर से लेना है और बार-बार लेना है। मैं बहुत खुश था और मेरी माँ मुझसे ज़्यादा खुश थी।” मधुमिता हंसते हुए कहती है , “एक्चुअली मैं ऑडिशन ले रही थी विशाल के बड़े भाई का और विशाल पीछे खड़े खड़े अपने बड़े भाई को इंस्ट्रक्शंस दे रहा था कि कैसे एक्टिंग की जाती है । मेरा ध्यान बार-बार विशाल की ओर जा रहा था और मैंने उससे कहा कि इंस्ट्रक्शंस मत दे यहां आके करके दिखा। बस इसी तरह मुझे मेरा ‘कुट्टी’ मिल गया। फिल्म के सेट पर अगर कोई भी विशाल से ऊंची आवाज़ में बात करता तो वह रूठ जाता था लेकिन अगर उसकी किसी गलती पर मैं उसे डांटटी तो वह मुझसे कभी नहीं चिढ़ता। हंमेशा मुझे ध्यान से सुनता। फिल्म के दौरान पूरी टीम परिवार बन चुकी थी लेकिन फिल्म खत्म होते होते मैं विशाल की जैसे सगी बड़ी बहन बन चुकी थी। मैं भगवानकी शुकरगुज़ार हूं कि मेरी फिल्म के द्वारा मैं विशाल से मीली और तमिल फिल्म इंडस्ट्री को एक ‘छोटा पैकेट बड़ा धमाका’ मीला है ।”