इस अवसर पर सचिव, ग्रामीण विकास श्री अमरजीत सिन्हा ने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्षों में अपने जीवन और समाज को बेहतर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों में शामिल होने वाली ग्रामीण महिलाओं की संख्या ढाई करोड़ से बढ़कर लगभग 6 करोड़ 30 लाख हो गई है। उन्होंने बताया कि अब तक एसएचजी द्वारा लगभग 88,000 करोड़ रुपये के ऋण प्राप्त किए गए हैं और उनका एनपीए केवल 2 प्रतिशत है, जो सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय होना चाहिए। श्री सिन्हा ने कहा, सरस मेले में प्रत्येक मंडप, प्रत्येक उत्पाद और प्रत्येक ग्रामीण एसएचजी महिलाओं के पास साझा करने के लिए कोई न कोई कहानी -जबरदस्त बाधाओं पर जीत की कहानी मौजूद है।
सरस आजीविका मेला, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम), ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य डीएवाई-एनआरएलएम की सहायता से गठित किए गए ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को अपने कौशल दर्शाने, अपने उत्पाद बेचने और थोक खरीदारों के साथ संबंध बनाने में मदद करने के लिए – उन्हें एक मंच पर लाना है। सरस आजीविका मेले में भागीदारी के माध्यम से, इन ग्रामीण एसएचजी महिलाओं को शहरी ग्राहकों की मांग और पसंद को समझने का राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण अनुभव मिलता है। मेले का आयोजन मंत्रालय की विपणन शाखा, लोक कार्यक्रम और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास परिषद (कपार्ट) द्वारा आयोजित किया जाता है।
मेले के दौरान ग्रामीण एसएचजी महिलाओं के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जो उन्हें अपना ज्ञान बढ़ाने और बुक कीपिंग और जीएसटी, उत्पाद डिजाइन, पैकेजिंग, विपणन / ई-मार्केटिंग, संचार कौशल आदि में अपने हुनर को बढ़ाने में मदद करेंगी।
इंडिया गेट लॉन में आयोजित सरस आजीविका मेले में दिल्ली एनसीआर के सम्मानित निवासियों के लिए हथकरघा, हस्तशिल्प, प्राकृतिक खाद्य उत्पाद पारंपरिक व्यंजनों वाला फूड कोर्ट मौजूद है। मेले के कुछ मुख्य आकर्षण हैं:
हथकरघा:
साडि़यां – आंध्र प्रदेश से-कलमकारी साड़ी, बिहार से कॉटन और सिल्क की साड़ियां, छत्तीसगढ़ की कोसा साड़ी, झारखंड से टसर सिल्क और कॉटन की साड़ियां, कर्नाटक की आईक्कल की साड़ियां, मध्य प्रदेश की चंदेरी और बाग प्रिंट की साड़ियां, महाराष्ट्र की पैठणी और सिल्क की साड़ियां, ओडिशा की टसर और बांदा की साड़ियां, तमिलनाडु की कांचीपुरम साड़ियां, तेलंगाना की पोचमपल्ली साड़ियां, उत्तर प्रदेश से सिल्क साड़ियां, उत्तराखंड से पश्मीना साड़ियां, पश्चिम बंगाल से काथा स्टिच्ड साड़ी, बाटिक प्रिंट, तंथ और बालूचरी साड़ियां है।
ड्रेस मेटिरियल और परिधान-असम से मेखला चादर, गुजरात से भारत गुंथन और पैच वर्क, झारखंड से दुपट्टा और ड्रेस मेटिरियल, कर्नाटक से इल्कलकुर्ती, मेघालय से स्टोल और आरी उत्पाद, मध्य प्रदेश से बाग प्रिंट ड्रेस मेटिरियल, महाराष्ट्र से ड्रेस मेटिरियल, पंजाब से फुलकारी, उत्तर प्रदेश से रेडीमेड वस्त्र, सूट, उत्तराखंड से पश्मीना स्टोल, साड़ी, शॉल, पश्चिम बंगाल से काथा स्टिच्ड और बाटिक प्रिंट स्टोल।
हस्तशिल्प, आभूषण और घरेलू सजावट- असम से जलकुंभी हैंडबैग और योगा मैट, आंध्र प्रदेश से मोती के आभूषण, बिहार से लाख की चूड़ियां, बिहार से मधुबनी पेंटिंग, सिक्की शिल्प, छत्तीसगढ़ से बेल मैटल उत्पाद; गुजरात से मड मिरर वर्क और डोरी का काम; हरियाणा से टेराकोटा, झारखंड से आदिवासी आभूषण, कर्नाटक से चन्नापटना खिलौने, महाराष्ट्र से लामासा कला उत्पाद, ओडिशा से सबई घास उत्पाद, ताड़ के पत्तों पर पतचित्र, तेलंगाना से चमड़े के बैग, वॉल हैंगिंग्स, लैम्प शेड, उत्तर प्रदेश से घरेलू सजावट; पश्चिम बंगाल से डोकरा शिल्प, शीतलपट्टी और विविध उत्पाद।
प्राकृतिक खाद्य उत्पाद – केरल के प्राकृतिक मसाले और खाद्य उत्पाद, राज्यों के हरित उत्पाद जैसे मसाले, अदरक, चाय, दालें, चावल, मिलेट उत्पाद, औषधीय पौधों के उत्पाद, कॉफी, पापड़, सेब जैम, आचार आदि बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे।
मेले का मुख्य आकर्षण लगभग 20 राज्यों के लजीज व्यंजन होंगे। इस दौरान अपनी किस्म के पहले फूड फेस्टिवल में भारत के वैविध्यपूर्ण व्यंजनों को दर्शाया जाएगा। इन व्यंजनों को एसएचजी सदस्यों द्वारा फूड कोर्ट में तैयार किया और परोसा जाएगा।