November 16, 2024
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बीसीआर न्यूज़ (मुंबई): हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री बाहर से बेहद लुभावनी और आकर्षक लगती है. फ़िल्म इंडस्ट्री का नाम सुनते ही आम लोगों को लगता है कि फ़िल्मी पर्दे की तरह ही फ़िल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों की जिंदगी भी होती होगी. जबकि हक़ीक़त इसके एकदम विपरीत है. फ़िल्म इंडस्ट्री में भी मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण होते हैं. इतना ही यह शोषण तब चलते रहेते हैं जब तक बाहर इसकी कहानी लीक नहीं होती. बीसीआर न्यूज़ आज आपके साथ फ़िल्म इंडस्ट्री में होने वाले आर्थिक शोषण की एक बड़ी कहानी सांझा कर रहा है.


5000 में हायर होते हैं डांसर्स

हिंदी फ़िल्मों में अक्सर आप देखते हैं कि हीरो और हीरोइन के आस पास गाने में कितने डांसर साथ में डांस करते हैं. इन डांसर्स को डांस कोरियोग्राफ़र हायर करते हैं. आज की तारीख़ में एक डांसर्स को साइड में खड़े रहने के लिए भी पांच हज़ार रुपए मिलते हैं. लेकिन कई बार इन्हें हायर करने वाले कोरियोग्राफ़र फ़िल्म के प्रोड्यूसर से तो पूरी रक़म वसूलते हैं लेकिन डांसर्स को उसकी आधी रक़म थमा देते हैं.
आजकल डांस की दुनिया का सबसे जाना पहचाना नाम हैं कोरियोग्राफ़र गणेश आचार्य, गणेश आचार्य के पास काम की कमी नहीं है. अक्षय कुमार, वरुण धवन, टाइगर श्रॉफ़ से लेकर अमिताभ बच्चन तक को अपने डांसिंग स्टेप्स पर नचाने वाले गणेश आचार्य आजकल फ़िल्मों के साथ-साथ डांसर्स को रीयल लाइफ़ में भी अपनी शर्तों पर नचा रहे हैं.
हाल ही मेरी मुलाक़ात डांस ग़्रुप के कुछ लोगों से हुई तो उन्होंने बताया कि गणेश आचार्य फ़िल्म के प्रोड्यूसर से उन्हें साइड में खड़े रहने के लिए पांच हज़ार वसूलते हैं, लेकिन डांसर्स को सिर्फ़ ढाई हज़ार रुपए देते हैं. पिछले कई सालों से डांसर्स का मेहनताना नहीं बढ़ा है. हर दिन महंगाई बढ़ती जा रही है लेकिन इसके बावजूद इनका पैसा नहीं बढ़ा.

शिकायत की तो जो आधा पैसा मिल रहा है वो भी नहीं मिलेगा

उनकी आपबीती सुनकर मैंने उनसे पूछा कि क्या आप इंटरव्यू देंगे और कैमरे के सामने आकर गणेश आचार्य के बारे में यह ख़ुलासे करेंगे? तब इस ग़्रुप से जुड़े लोगों ने कहा “मैडम हम बात तो कर लेंगे लेकिन फिर हमें यह काम भी नहीं मिलेगा. गणेश आचार्य भी हमें काम नहीं देंगे. मुश्किल से महीने में तीन से चार दिन का एक सेट पर काम मिलता है. वो भी बंद हो गया तो घर का चूल्हा कैसे जलेगा.” मैंने उनसे कहा कि अगर आप बात नहीं करेंगे तो बदलाव कैसे आएगा.इस पर ग़्रुप से जुड़े लोगों ने कहा कि इस मामले में हमने अपनी शिकायत (FWICE) फ़ेडरेशन ऑफ़ वेस्टर्न इंडिया सिने एंप्‍लॉईज से की है.

जिसको कोई काम नहीं देता मैं उसे काम देता हूंः गणेश आचार्य

इस बातचीत के बाद मेरी उत्सुकता बढ़ी कि क्या वाक़ई फ़िल्म इंडस्ट्री में एक डांसर को अपने घर का चूल्हा जलाने के लिए इस क़दर आर्थिक शोषण सहना पड़ता है? तब इस मामले को गहराई से समझने के लिए मैंने फ़ेडरेशन ऑफ़ वेस्टर्न इंडिया सिने एंप्‍लॉईज के प्रेसीडेंट बीएन तिवारी से मुलाक़ात की और उनसे इस मामले का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा, “हां, शिकायत तो हमारे पास आई है. यह भी हक़ीक़त है कि गणेश आचार्य समेत ऐसे कई कोरियोग्राफ़र हैं जो इस तरह का आर्थिक शोषण डांसर्स के साथ कर रहे हैं. हमने इस मामले को लेकर पहले गणेश आचार्य से बात की थी. उन्होंने कहा कि मैं ऐसे बुज़ुर्ग लोगों को काम देता हूं जिन्हें कोई काम नहीं देता. इसमें ग़लत क्या है कि इंडस्ट्री के जिन बुज़ुर्ग डांसर्स को कोई काम नहीं दे रहा था, मैंने उन्हें काम दिया और अपने गानों में नचाया. अब मैं प्रोड्यूसर से क्या लेता हूं और क्या करता हूं इसमें किसी को तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए.

गणेश आचार्य को बढ़ाना होगा मेहनताना

बीएन तिवारी ने कहा कि फ़िलहाल इंडस्ट्री में डांसर्स की हालत बहुत ख़राब है. पिछले कई सालों से मेहनताना नहीं बढ़ा है. सिने डांस असोसिएशन में तीन ग्रुप हैं, जिनके आपस में मतभेद हैं. यही वजह है कि डांसर्स की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं है. लेकिन हमने गणेश आचार्य को साफ़ कर दिया है कि वह भले ही प्रोड्यूसर से कितना पैसा लें, लेकिन अब उन्हें डांसर को ढाई हज़ार के बजाय साढ़े चार हज़ार मेहनताना देना होगा. शूटिंग के तीन दिन बाद ही उनका पेमेंट करना होगा. क्योंकि ये बेचारे तीन दिन के मेहनताना पाने के लिए तीन महीने स्ट्रगल करते हैं.
इस मामले में मैं गणेश आचार्य से भी बातचीत करने की कोशिश कर रही थी. लेकिन गणेश आचार्य ने मैसेज पढ़कर जबाब देना ज़रूरी नही समझा. नाना पाटेकर, अक्षय कुमार, टाइगर श्रॉफ़ समेत कई स्टार्स के क़रीबी कहे जाने वाले कोरियोग्राफ़र गणेश आचार्य डांसर्स का खुलेआम आर्थिक शोषण कर रहे हैं. समाजसेवा के लिए मशहूर नाना पाटेकर और अक्षय कुमार जैसे दिग्गज भी इन मामलों पर ध्यान नहीं देते.
यह वाक़या वाक़ई हैरान करने वाला है कि सोशल मीडिया की छोटी-छोटी बातों पर ताबड़तोड़ ट्वीट करने वाली फ़िल्म इंडस्ट्री शूटिंग सेट के अंदर के इन मामलों पर कैसे चुप्पी साध लेती है. सबसे कमाल बात यह है कि कई बड़े एक्टर्स सामाजिक मुद्दों पर फ़िल्म बनाते हैं और ग़रीबों की मदद और सामाजिक मुद्दों पर काम करने की बात करते हैं, लेकिन सोशल मीडिया और तमाम मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर समाज सुधारने का बीड़ा उठाए इन एक्टर्स और फ़िल्मी हस्तियों को अपने शूटिंग सेट के मसले नहीं दिखाई देते या फिर जानकर भी प्रोड्यूसर, डांस कोरियोग्राफ़र और डायरेक्टर से रिश्ते ख़राब होने के डर से अनदेखा कर देते हैं.
ऐसी फ़िल्म हस्तियों को मेरी मुफ़्त की सलाह है कि सोशल मीडिया पर समाज सुधारने के बजाय अपने आस-पास से यह कोशिश करें ताकि आपकी वजह से आपके साथ काम करने वाले शोषित लोगों को इंसाफ़ मिले. साभार शिखा धारीवाल 

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