बीसीआर न्यूज़ (रचना शर्मा/नई दिल्ली): आज दिल्ली में पीएफटीआई के छात्रों द्वारा एक फैशन शो व दो लघु नाटिका का आयोजन किया गया, इस कार्यक्रम का आयोजन समाज में फैली कुरीतियां, अंधविश्वास व विदेशी छोडो देसी अपनाओ को उजागर कर उनका समाधान करना था, छात्रों ने बड़ी ही ख़ूबसूरती से कार्यक्रम को अंजाम दिया और अपने अभिनय से चार चाँद लगाए, फैशन शो में भारतीय संस्कृति साफ़ साफ़ झलक रही थी मानो ज़मीन पर स्वर्ग की अप्सरा उतर आयी हो, फैशन शो को कोरियोग्राफ किया था कोरियोग्राफर रौनक चंचल ने, साथ ही सतरंगी मौहल्ला नामक नाटिका व अन्य नाटिका व कॉमेडी का निर्देशन किया था डायरेक्टर भूपेंदर तितरा व मनीष ने, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई फिल्म निर्माता निर्देशक अजय शास्त्री जी ने और कार्यक्रम में आये अतिथियों को बुक्के देकर सम्मानित भी किया, कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की भवानी महारज जी, नवीन अंतिल, दीपक वालिया व अजित सिंह ने , कार्यक्रम के आयोजक थे डीके भरद्वाज और कार्यक्रम को प्रस्तुत किया था पदार्पण फिल्म एंड टीवी इंस्टिट्यूट ने.
कार्यक्रम में छात्रों के अभिभावक अपने बच्चों के अभिनय को देखकर बहुत ही उत्साहित नजर आ रहे थे प्रत्येक परफॉर्मेंस पर हाल तालियों से गूँज उठता था. कार्यक्रम के दौरान हर कोई एन्जॉय कर रहा था
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि फिल्म निर्माता निर्देशक अजय शास्त्री जी के मुताबिक ग्लैमर से भरी इस दुनिया में जहाँ पर पश्चिमी सभ्यता हम पर हावी होती जा रही है और हम अपनी सभ्यता को भूलते जा रहे है, वहां पर अपनी सभ्यता को मंच पर दर्शाना बहुत ही कठिन होता है क्योंकि आजकल हर कोई पश्चिमी सभ्यता में लिप्त है. ऐसे माहौल में अपनी सभ्यता को मंच के माध्यम से देश और दुनिया के कोने कोने तक पहुंचना बहुत ही साहस भरा कार्य है जिसके लिए दीपक भारद्वाज धन्यवाद के पात्र है क्योंकि इन्होने इस तरह का चैलेंज स्वीकार कर इसको अंजाम दिया.
पीएफटीआई के डायरेक्टर दीपक भरद्वाज का भी ये ही मानना है कि अगर हम अपने बच्चों को अपनी सभ्यता व संस्कृति के बारे में नहीं बताएंगे तो उनको कैसे पता चलेगा ? हमारे बच्चे तो जो आज देख रहे है वो तो वैसा ही करेंगे, लेकिन जब हमारे बच्चे विदेशी लोगो को हमारी सभ्यता में लिप्त देखते है तो उनके मन में ये सवाल आता है कि जब हमारी सभ्यता इतनी अच्छी है कि विदेशी लोग भी हमारी सभ्यता को अपना रहे है तो हम क्यों छोड़ते जा रहे है अपनी सभ्यता को ? हम क्यों अपना रहे है पश्चिमी सभ्यता को ? इन्ही कुछ सवालों को दिमाग में रखकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जो आप सभी के आशीर्वाद से सफल रहा.