बीसीआर न्यूज़ (व्योमेश झा/नई दिल्ली): पूरे देश में ख़ुद को उच्चस्तरीय हस्त शल्य चिकित्सक (हैंड सर्जन) और सूक्ष्म शल्य चिकित्सक (माइक्रो सर्जन) के तौर पर साबित करने वाले डाॅ अनुज अब एक कवि और उपन्यासकार के अवतार में ख़ुद को स्थापित कर चुके हैं। यह इनका अंतहीन प्रेम ही तो था जो उनकी लिखित कवितावली “भावरंजिनि” में संगीत, कविता और प्रकृति के सम्मिश्रण से अपनी काव्य-कल्पना का अनूठा प्रमाण दिया है। “भावरंजिनि” की अपार सफलता के बाद डाॅ अनुज अब नई दिशा की ओर मुड़ते हुए अपना पहला उपन्यास श्दैट एरोटिक साइलेंसश् लिखा है जो कि काफी साहसिक और संवेदनशील विषय पर आधारित है। सर्वप्रथम इस पुस्तक का विमोचन ”लखनऊ साहित्यिक सम्मेलन“ में किया गया था जहां पर इस उपन्यास को अति संवेदनशील और ज्वलंत मुद्दों का साक्षी के रूप में वृहद तौर पर सराहना की गई थी। “दैट एरोटिक साइलेंस” एक ऐसी पुस्तक है जिसमें एक 3 साल के बच्चे के बालपन की भावुक यात्रा को दर्शाया गया है जो एक ऐसी यात्रा है जिसमें एक बच्चे के ईर्द-गिर्द यौन और संवेदनशील क्रियाकलाप का बड़े ही बारिकी से चित्रण किया गया है। इसके साथ ही उसके साथ घटित घटनाओें से उन तथ्यों को उजागर किया गया है जिसमें सच्चे प्रेम के पीछे के सच को सामने लाया जा सके।
मूलतः आगरा (जो कि ताज का शहर है) के निवासी डाॅ अनुज, वत्र्तमान में आगरा के माइक्रो सर्जरी सेन्टर में बतौर निदेशक अपनी सेवाऐं प्रदान कर रहे हैं। डाॅ अनुज को विकृति विज्ञान के क्षेत्र में पी. एन. वाही स्वर्ण पदक और औषधि विज्ञान के क्षेत्र में बी. सी. राॅय स्वर्ण पदक से नवाज़ा जा चुका है। वह बतौर हस्त शल्य चिकित्सक (हैंड सर्जन) कई देशों के अस्पतालों का दौरा भी कर चुके हैं। जिसमें अमेरिका, स्विट्ज़रलैण्ड, ताईवान, हांगकांग, आॅस्ट्रेलिया और थाईलैण्ड शामिल है। वह पूर्व में दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी के परामर्शदाता भी रह चुके है। वर्तमान में डाॅ अनुज बतौर हस्त शल्य चिकित्सक (हैंड सर्जन) के रूप में आगरा के रेनबो और मूलचन्द अस्पताल में कार्यरत है।
संपादकीय प्रस्तावना में डाॅ रोज़ा मारिया ने डाॅ अनुज की किताब के महत्व को उजागर करते हुए लिखा है कि” “दैट एरोटिक साइलेंस” एक भावुकता से परिपूर्ण नाट्य कथा है जिसके सभी पात्र ”प्रीयूडियन मनोविज्ञान“ के तहत एक बच्चे के अन्दर के पनपते यौन विकास को चिन्हित किया गया है कि किस तरह एक प्रश्न मनुष्य में विकार उत्पन्न कर सकता है। इस कथा में नायक के तौर पर शर््श् है जिसकी यात्रा एक साधारण से छिद्र से झांकता हुआ एक बच्चा जो कि एक युगल जोड़ों के बीच चल रहे यौन क्रियाओं का निरिक्षण कर रहा है।“
डाॅ अनुूज के इस उपन्यास का भव्य विमोचन अगले माह राजधानी नई दिल्ली में होने जा रहा हैं। इस समारोह में समाज के प्रतिष्ठित वर्ग भी मौजूद रहेंगे। इसी सिलसिले में हुई बातचीत के दौरान डाॅ अनुज ने कुछ पंक्तियां साझा की कि, ”यह मेरी अंर्तआत्मा की आवाज़ है जिसने मुझे प्ररित किया कि मैं एक जीवंत उपन्यास लिखूं और लोगों तक इसका संदेश पहूंचाऊं। औषधि के पेशे में अपनी ज़िंदगी के कई बेहतरीन वर्ष बिताने के बाद अब जाकर महसूस कर पा रहा हूं कि अपने व्यस्ततम् दिनचर्या में से कुछ समय निकाल समाज के हित में अपनी भूमिका को तराशा जाए इसलिए अब मैं एक कवि और उपन्यासकार की गरिमामय पद को धारण कर चुका हूं। जहां एक तरफ पत्रकार, लेखक, कवि अपने अपने विचारों और अभिव्यक्ति से समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, इसी प्रकार मैं भी चाहता हूं कि समाज में मेरा भी एक विषेष योगदान हो जिसमें लोग साक्षर होने के साथ-साथ व्यक्तिगत नैतिकता और नैतिक मूल्यों का भी अनुसरण कर सकें। जब भी हम बच्चों से संबंधित मुद्दों की चर्चा करें तो हमारे दिमाग में एक बात सतत् रहनी चाहिए कि वे हमारे मानवीय समाज के बहुत ही ईमानदार और मासूम सदस्य है जिनको बड़े ही सज्जनतापूर्वक और सन्मार्गी होकर संभाला जाए। एक चिकित्सक और लेखक होने के नाते मेरा यह मानना है कि हमें हर किसी के अच्छे बर्ताव और स्वभाव के लिए कान, आंख और दिमाग को खुला रखना चाहिए। एक दृढ़विश्वासी और समग्र विकास के आकांक्षी के रूप में मैं यह भी चाहता हूं कि मानवीय मूल्यों और सांस्कृतिक संरचनाओं के समानांतर विकास से आने वाली पीढ़ी समग्र विकास के द्योतक हो सकते हैं। हमें आवश्यकता है कि हमारे विकासशील प्रधानमंत्री की दूरदर्शी सोच “नया भारत” में सभी को व्यक्तिगत तौर पर नवीन सोच और उचित मापदण्डों में सहभागिता करनी पड़ेगी। विद्यालयों के परामर्शदाताओं से भी यह अपील है कि सिर्फ छात्रों को चिंता से संबंधित विषयों तक ही सीमित ना रहें, बल्कि सामाजिक वर्चस्व पर भी बच्चों को सलाह दें। अगर बच्चों को उनके उपयुक्त अवस्था में यौन शिक्षा दी जाए तो मुझे लगता है कि यह आधुनिक समाज की एक उत्तम पहल होगी। समाज के सभी वर्गों को उन्नति करने का और विचारों को समकक्ष रखने का पूरा अधिकार मिलना चाहिए। अगर मेरी यह किताब सदियों से चली आ रही तथाकथित मिथकों और भ्रमों को समाज के सामने ला पाया तो मैं समझूंगा कि समाज के प्रति मेरा योगदान सफल रहा।“
डाॅ अनुज ने एक नए तकनीक का विस्तार किया है जिसका नाम ”कुमार तकनीक“ है जो कि स्विट्ज़रलैण्ड के एक हस्त शल्य चिकित्सक (हैंड सर्जन) द्वारा बनाई गया है। डाॅ अनुज को साल 1999 में हांगकांग के प्रिंस आॅफ वेल्स अस्पताल में ”एशिया पेसिफिक फेलोशिप“ के सम्मान से और सन् 2000 में उम्दा काग़ज़ी प्रदर्शन (पेपर प्रजेंटेशन) के लिए इलाहाबाद के वार्षिक सभा में ”राष्ट्रपति स्वर्ण पदक“ से सम्मानित किया जा चुका है।