बीसीआर न्यूज़/उत्तर प्रदेश: कानपुर जिले के घाटमपुर-फतेहपुर रोड पर स्थित परास गांव में अजीब सा सन्नाटा है। लोग एक दूसरे के दरवाजे पर भी जान से कतराते हैं। वजह बताई जा रही है कि बीस दिन के भीतर 40 मौतें हो चुकी हैं। कोरोना से मौत तो नहीं कहा जा सकता क्योंकि किसी की जांच नहीं हुई, लेकिन लक्षण वैसे ही थे। बीमारी के खौफ से सुनील तिवारी, भोला समेत कई लोगों ने गांव छोड़ दिया है। ये लोग अपने परिवार के साथ रिश्तेदारों के यहां या किसी अन्य स्थान चले गए हैं। कई परिवार ऐसे ही हैं जो अपने बुजुर्गों और बच्चों को गांव के बाहर रिश्तेदारी में छोड़ आए हैं। घाटमपुर ब्लॉक की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत परास के लोग पंचायत चुनाव में व्यस्त थे और बीमारी पांव पसार रही थी। मतदान के दो-चार दिन पहले से ही हालात बिगड़ने लगे थे। देखते ही देखते परिवार के परिवार सर्दी, खांसी और बुखार की चपेट में आ गए। गांव वाले बताते हैं कि राकेश सविता की सबसे पहले मौत हुई। इसके बाद इनके भाई की भी मौत हो गई। राकेश की चाय-पान की दुकान थी। अब घर में पत्नी और दो बच्चे अविनाश, शिखा ही बचे। राकेश को एक दिन बुखार आया और दूसरे दिन मौत हो गई थी। गांव के ही सत्येंद्र गुप्ता की इसी तरह अचानक बुखार से मौत हुई। मौत के आठ दिन बाद ही उनके भाई राजकुमार गुप्ता की भी जान चली गई। सबकी बीमारी एक जैसी ही थी। ऐसे ही गांव के रामशंकर चैरसिया (55), राजकुमार गुप्ता (58), काले गुप्ता (45), राकेश सविता (55), शोमी तिवारी (35), रजन बाबू (55), अरविन्द अवस्थी, शीलू तिवारी, राजकिशोर मिश्रा, शिवनारायण दुबे, लवकुश सचान, हरीशंकर सैनी, श्रीकांत अवस्थी, नन्हका पासी, मिश्रीलाल प्रजापति, रामऔतार संखवार, रामशंकर चौरसिया, मिर्चीलाल, श्रीकांत अवस्थी, राहुल तिवारी समेत 40 की मौत बीमार होने के एक-दो दिन के भीतर हुई। इन सभी को पहले बुखार आया और एक दो दिन बाद सांस लेने में दिक्कत हुई और मौत हो गई।
सात हजार आबादी वाले इस गांव में सर्दी, खांसी और बुखार से करीब एक हजार लोग पीड़ित हैं। प्रशासन, स्वास्थ्य महकमा, जनप्रतिनिधि किसी को फुर्सत नहीं। गांव के लोगों ने हंगामा किया तो एसडीएम पहुंचे जरूर लेकिन पांच मिनट भी नहीं रुके। एक घंटे में 60 लोगों की एंटीजन से जांच की गई तो 50 लोग संक्रिमत पाए गए। हालांकि प्रशासन के मुताबिक 10 में ही संक्रमण मिला। यह तब है जब गांव घाटमपुर तहसील से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर है। फिर भी मजबूरन निजी डॉक्टरों या फिर झोलाझाप से इलाज करा रहे हैं।
ग्रामीण इन मौतों की वजह कोरोना बता रहे हैं। लोगों का मानना है कि प्रशासन के लापरवाह रवैए की वजह से कोरोना की जांच नहीं की गई। जब अचानक से मौतें शुरू हुईं तो कैंप लगाकर जांच हुई थी। इसमें एक ही घर से आठ लोग कोरोना पॉजिटिव निकले थे। कई ग्रामीणों ने जब कानपुर जाकर जांच कराई तो वे भी संक्रमित पाए गए। गांव के ही अल्केश तिवारी और गोरे तिवारी ने बताया कि प्रशासन ने केवल एक दिन गांव में सेनेटाइजेशन कराया था। तब से कोई सुध नहीं ली गई। ऐसे में वे लोग ग्रामीणों से चंदा इकट्ठा करके सेनेजाइजेशन करा रहे हैं। लोग घरों से निकलने से डर रहे हैं। परास गांव में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र है। सीएचसी प्रभारी ने बताया कि यहां एएनएम सुधा वर्मा तैनात हैं। गांव वालों का कहना है कि पिछले कई महीनों से उपकेंद्र का ताला ही नहीं खुला। छोटे अस्पताल में किसी को देखा तक नहीं।
अजय शास्त्री (संपादक व प्रकाशक)
बॉलीवुड सिने रिपोर्टर (समाचार पत्र) व बीसीआर न्यूज़ (न्यूज़ पोर्टल व वेब न्यूज़ चैनल)