निवेशकों के 24 हजार करोड़ रूपए ना लौटाने के कारण जेल में बंद Subrata Roy को परोल मिल गई है। उनकी मां के निधन के बाद उन्हे परोल मिली है
बीसीआई न्यूज़ (नई दिल्ली): मुश्किलों से घिरे सहारा समूह के प्रमुख Subrata Roy को आखिरकार जेल से रिहाई मिल ही गई। लेकिन ये आजादी महज 4 हफ्तों के लिए है। सहारा प्रमुख की माताजी का निधन हो गया है। जिसके बाद उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सुब्रत राय ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई। उनकी अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हे 4 हफ्तों की परोल दे दी है।
Subrata Roy की मां छबि राय का गुरुवार देर रात निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सहारा प्रमुख को 4 हफ्ते की परोल मिली है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सादे कपड़ों में पुलिस के सिपाही भी उनके साथ रहेंगे। सुब्रत को यह पैरोल मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दी है। सुब्रत राय की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने परोल की मांग की थी।
आपको बता दें कि Subrata Roy की मां छबि राय की उम्र 95 साल थी । वो काफी लंबे समय से बीमार चल रही थी। रात 1 बजकर 34 मिनट पर उन्होंने लखनऊ में आखिरी सांस ली।सुब्रत रॉय 4 मार्च 2014 से जेल में हैं। सहारा समूह पर निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये न लौटाने का आरोप है। सहारा प्रमुख की मां पिछले कई दिनों से अपने बेटे से मिलने का इंतजार कर रही थी। मां की खराब तबीयत का हवाला देकर सुब्रत राय ने कई बार जमानत की मांग की थी।
Subrata Roy की मां छबि रॉय का जन्म बिहार के अररिया जिले में हुआ था। उनकी शादी स्वर्गीय सुधीर चंद्र रॉय से हुई थी। छबि राय काफी समय से समजासेवा से जुड़ी हुई थी। उन्होने कई गरीब और बेसहारा लड़कियों की शादियां करवाी थी। अपनी बीमार मां के लिए सुब्रत राय ने लखनऊ के सहारा शहर में ही एक छोटा सा अस्पताल बनवा दिया था। इस अस्पताल में करीब दो साल से डॉक्टर उनकी देख-रेख कर रहे थे।